जुरासिक वर्ल्ड रीबर्थ मूवी रिव्यू

Akash Saharan
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जुरासिक वर्ल्ड रीबर्थ मूवी रिव्यू

सोचिए, आप एक ऐसे द्वीप पर फंसे हैं जहाँ हर मोड़ पर मौत आपका इंतज़ार कर रही है. एक तरफ हैं तीन विशालकाय डायनासोर, जिनकी एक दहाड़ से ज़मीन कांप उठती है, और दूसरी तरफ एक ऐसा खूंखार शिकारी है जिसे आज तक किसी ने नहीं देखा. ये कहानी है ‘जुरासिक वर्ल्ड रीबर्थ‘ की… एक मिशन जो इंसानियत को बचाने के नाम पर शुरू हुआ था, लेकिन बहुत जल्द ज़िंदा रहने की एक बेरहम लड़ाई में तब्दील हो गया. पर क्या हो अगर ये पूरा मिशन ही एक बहुत बड़ा धोखा निकले? क्या हो अगर इंसानियत को बचाने का वादा सिर्फ एक पर्दा हो और असली खेल कुछ और ही चल रहा हो? आज हम जानेंगे जुरासिक वर्ल्ड की नई फिल्म ‘रीबर्थ’ की पूरी और असली कहानी, और उस सबसे बड़े धोखे का पर्दाफाश करेंगे जो फिल्म के आखिर में सामने आता है.

जुरासिक वर्ल्ड रीबर्थ एक नई दुनिया, एक नया मिशन

फिल्म की कहानी, ‘जुरासिक वर्ल्ड डोमिनियन’ की घटनाओं के पांच साल बाद सेट है. दुनिया अब काफ़ी बदल चुकी है. डायनासोर पूरी दुनिया में नहीं फैले हैं, बल्कि सिर्फ भूमध्य रेखा के पास के गर्म और ट्रॉपिकल इलाकों तक ही सिमट कर रह गए हैं. बाकी दुनिया नॉर्मल होने की कोशिश कर रही है, लेकिन डायनासोर का ख़तरा आज भी एक सच्चाई है.

यहीं हमारी मुलाक़ात होती है ज़ोरा बेनेट से, जिसका किरदार स्कारलेट जोहानसन ने निभाया है. ज़ोरा एक एक्स-सोल्जर है जो अब एक शांत ज़िंदगी जी रही है. लेकिन उसकी ये शांति तब भंग होती है जब एक बड़ी फार्मा कंपनी उसके पास एक मिशन लेकर आती है. मिशन सुनने में बड़ा सीधा और नेक लगता है. कंपनी का कहना है कि उन्होंने एक बेहद खतरनाक द्वीप ‘आइल सेंट-ह्यूबर्ट’ पर तीन सबसे बड़े डायनासोर का पता लगाया है. ये डायनासोर हैं स्पिनोसॉरस (ज़मीन का शिकारी), मोसासॉरस (समंदर का राजा), और क्वेट्ज़ालकोट्लस (आसमान का बादशाह). कंपनी का दावा है कि इन डायनासोर के डीएनए में एक ऐसा जेनेटिक मार्कर है, जिससे दिल की बीमारियों का एक पक्का इलाज बन सकता है. एक ऐसी दवा जो लाखों लोगों की जान बचा सकती है.

इस नेक काम के लिए, ज़ोरा को एक टीम लीड करनी है और उस द्वीप पर जाकर इन तीनों डायनासोर के डीएनए सैंपल लेकर आने हैं. ज़ोरा को ये मिशन इंसानियत की भलाई का एक बड़ा मौका लगता है और वो इसके लिए तैयार हो जाती है. उसकी टीम में एक जेनेटिसिस्ट, एक सर्वाइवल एक्सपर्ट और कुछ सिक्योरिटी गार्ड्स शामिल हैं. उन्हें लगता है कि वो एक ऐतिहासिक मिशन पर जा रहे हैं, लेकिन उन्हें इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं है कि वो एक बहुत बड़े जाल में कदम रख चुके हैं.

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द्वीप पर पहला दिन और अनचाहे मेहमान

टीम लेटेस्ट हथियारों और इक्विपमेंट के साथ ‘आइल सेंट-ह्यूबर्ट’ के लिए निकलती है. जैसे ही उनका जहाज़ द्वीप के पास पहुँचता है, उनका स्वागत समंदर का सबसे बड़ा दैत्य करता है – मोसासॉरस. एक ज़बरदस्त हमले में मोसासॉरस उनके जहाज़ को चीरकर रख देता है. टीम के कुछ लोग मारे जाते हैं और बाकी किसी तरह अपनी जान बचाकर द्वीप के किनारे पहुँचते हैं. उनका मिशन तो शुरू होने से पहले ही एक बुरे सपने में बदल चुका है.

जल्द ही पता चलता है कि द्वीप पर ज़ोरा और उसकी टीम अकेले नहीं हैं. उन्हें एक फंसा हुआ परिवार मिलता है – एक पिता और उसके दो बच्चे. ये परिवार कुछ हफ़्तों से इस द्वीप पर फंसा हुआ है और किसी तरह डायनासोर से बचकर ज़िंदा है. ज़ोरा की पहली प्राथमिकता अब अपनी टीम और इस परिवार को बचाना बन जाती है. लेकिन मिशन अभी भी अधूरा है. कंपनी से उनका संपर्क टूट चुका है और वापस जाने का कोई रास्ता नहीं है. उन्हें पता है कि अगर यहाँ से निकलना है, तो मिशन पूरा करना ही होगा, क्योंकि रेस्क्यू टीम तभी आएगी जब उन्हें डीएनए सैंपल मिलने का सिग्नल मिलेगा. यहीं से कहानी में टेंशन और बढ़ जाता है, क्योंकि अब इन दो ग्रुप्स को मिलकर इस जहन्नुम जैसे द्वीप पर सरवाइव करना है.

जंगल का क़हर और स्पिनोसॉरस का आतंक

ये द्वीप जितना खूबसूरत है, उससे कहीं ज़्यादा जानलेवा है. यहाँ हर कदम पर मौत घात लगाए बैठी है. टीम को एहसास हो जाता है कि डीएनए सैंपल लाना कोई बच्चों का खेल नहीं है. उन्हें सबसे पहले स्पिनोसॉरस को ढूंढना है, जो इस द्वीप के सबसे बेरहम शिकारियों में से एक है.

जंगल के घने अंधेरे में जब वो आगे बढ़ रहे होते हैं, तभी उन पर हमला होता है. ये स्पिनोसॉरस है. ये सीन सच में साँसें रोक देता है. स्पिनोसॉरस एक भूखे दरिंदे की तरह टीम का पीछा करता है, और इस दौरान टीम के कुछ और सदस्य उसकी भेंट चढ़ जाते हैं. ज़ोरा और बाकी लोग किसी तरह एक पुरानी, टूटी-फूटी लैब में छिपकर अपनी जान बचाते हैं. इस हमले के बाद टीम का हौसला लगभग टूट चुका है. उन्हें समझ आ जाता है कि ये मिशन उनकी सोच से कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है.

आसमान के शिकारी

उस पुरानी लैब में उन्हें कुछ रिकॉर्ड्स मिलते हैं, जिनसे पता चलता है कि ये द्वीप पहले एक रिसर्च आउटपोस्ट था. यहाँ उन्हें द्वीप का एक नक्शा मिलता है, जिससे उन्हें अपने अगले टारगेट, क्वेट्ज़ालकोट्लस, की लोकेशन का पता चलता है. ये आसमान में उड़ने वाला सबसे बड़ा जीव है, जो पहाड़ों की ऊँची चोटियों पर अपने घोंसले बनाता है.

यहीं कहानी में एक नया ट्विस्ट आता है. टीम को एहसास होता है कि एक विशालकाय डायनासोर से सीधे डीएनए निकालना लगभग नामुमकिन है, इसलिए वे उसके अंडों से सैंपल निकालने का प्लान बनाते हैं. ये सीक्वेंस बेहद रोमांचक है, जहाँ टीम को पहाड़ों पर खतरनाक चढ़ाई करनी पड़ती है और विशालकाय क्वेट्ज़ालकोट्लस के हमलों से बचते हुए उनके घोंसलों से सैंपल चुराना होता है. किसी तरह वो ये काम पूरा कर लेते हैं. अब उनके पास तीनों डीएनए सैंपल आ चुके हैं, लेकिन कहानी का सबसे बड़ा और सबसे भयानक राज़ खुलना अभी बाकी था.

सबसे बड़ा धोखा

जिस लैब में टीम ने पनाह ली थी, वहीं ज़ोरा और उस परिवार के पिता को एक छिपा हुआ कंप्यूटर टर्मिनल मिलता है. जैसे ही वो उसे चालू करते हैं, उनके पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है. उन्हें पता चलता है कि जिस कंपनी ने उन्हें यहाँ भेजा है, उसका दिल की बीमारी का इलाज बनाने का कोई इरादा ही नहीं था. ये सब एक सफेद झूठ था, एक बहुत बड़ा धोखा.

असली मकसद इन डायनासोर के डीएनए का इस्तेमाल करके एक नया म्यूटेंट डायनासोर बनाना था. एक ऐसा शिकारी जिसे दिमागी तौर पर कंट्रोल किया जा सके और एक जैविक हथियार (Bio-weapon) की तरह बेचा जा सके. उन्हें यह भी पता चलता है कि इस द्वीप पर पहले से ही कंपनी का एक सीक्रेट प्रोजेक्ट चल रहा था और उनका सबसे खतरनाक क्रिएशन इसी द्वीप पर कहीं आज़ाद घूम रहा है. ज़ोरा को समझ आता है कि उन्हें यहाँ मरने के लिए भेजा गया था, ताकि मिशन का सच किसी को पता न चले. और वो फंसा हुआ परिवार भी कोई आम टूरिस्ट नहीं था; उस परिवार के पिता का इस प्रोजेक्ट से एक गहरा नाता था, जिसकी वजह से वो अपनी जान बचाकर भागा था.

शैतान से सामना और क्लाइमेक्स

जैसे ही ये सच सामने आता है, लैब पर एक भयानक हमला होता है. ये कोई आम डायनासोर नहीं है. ये कंपनी का बनाया हुआ वो म्यूटेंट है – टी-रेक्स से भी बड़ा, रैप्टर से ज़्यादा चालाक, और स्पिनोसॉरस से कहीं ज़्यादा खूंखार. उसकी त्वचा गिरगिट की तरह रंग बदल सकती है, जिससे वो लगभग गायब हो जाता है.

अब शुरू होती है फिल्म की आखिरी और सबसे खतरनाक लड़ाई. ज़ोरा, उसकी बची-खुची टीम, और उस परिवार को न सिर्फ इस म्यूटेंट से बचना है, बल्कि द्वीप से ज़िंदा भी निकलना है. वे एक पुराने हेलीपैड की तरफ भागते हैं, जहाँ एक बचाव हेलीकॉप्टर खड़ा है. वो म्यूटेंट एक शैतान की तरह उनका पीछा करता है. क्लाइमेक्स में ज़ोरा और उस म्यूटेंट के बीच एक ज़बरदस्त लड़ाई होती है. हेलीकॉप्टर स्टार्ट हो जाता है, लेकिन उड़ान भरने से ठीक पहले वो शैतान उस पर हमला कर देता है, और हेलीकॉप्टर क्रैश हो जाता है.

CONCLUSION: अंत और मेरा नज़रिया जुरासिक वर्ल्ड रीबर्थ को लेकर

फिल्म का अंत काफी रोमांचक और थोड़ा ओपन-एंडेड है. हेलीकॉप्टर क्रैश के बाद, ज़ोरा और बाकी लोग अपनी सूझबूझ से उस म्यूटेंट डायनासोर को आग और विस्फोटकों के जाल में फंसाने में कामयाब हो जाते हैं. वे एक बचाव नाव के ज़रिए द्वीप से निकलने में सफल होते हैं, लेकिन कंपनी के खिलाफ़ जो सबूत उन्होंने जमा किए थे, उनका क्या होता है, यह साफ़ नहीं दिखाया गया है. वे ज़िंदा तो बच जाते हैं, लेकिन उनकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है, जो सीधे-सीधे एक सीक्वल की तरफ इशारा करता है.

तो बात करते हैं कि ये फिल्म आखिर है कैसी. अगर आप जुरासिक फ्रैंचाइज़ी के फैन हैं और आपको बड़े-बड़े डायनासोर और ज़बरदस्त एक्शन पसंद है, तो ये फिल्म आपको निराश नहीं करेगी. फिल्म का CGI और एक्शन सीक्वेंस कमाल का है, खासकर मोसासॉरस का हमला और क्लाइमेक्स में म्यूटेंट के साथ फाइट. स्कारलेट जोहानसन ने ज़ोरा के किरदार में सच में जान डाल दी है.

लेकिन फिल्म की कुछ कमज़ोरियाँ भी हैं. इसकी शुरुआत थोड़ी धीमी है; एक्शन शुरू होने में लगभग 40-45 मिनट लग जाते हैं. बीच में फंसे हुए परिवार का सबप्लॉट कहानी की रफ़्तार को कहीं-कहीं धीमा कर देता है. कुछ सीन्स आपको पुरानी जुरासिक फिल्मों की याद दिलाएंगे, जिससे कहानी में नयापन थोड़ा कम लगता है.

ओवरऑल, ‘जुरासिक वर्ल्ड रीबर्थ’ एक अच्छी एंटरटेनर है. अगर आपको बड़ी स्क्रीन पर डायनासोर का आतंक, एक्शन और थ्रिल महसूस करना है, तो यह फिल्म आपके लिए ही बनी है, बस कहानी में बहुत ज़्यादा गहराई की उम्मीद मत रखिएगा.

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